जामताड़ा: मुहर्रम पर्व के पावन अवसर पर जामताड़ा में एक भव्य और ऐतिहासिक जुलूस का आयोजन किया गया, जिसमें जिले के विभिन्न गांवों से ताजिया और अखाड़ा कमेटियां एकत्र होकर सुभाष चौक पहुंचीं। इस दौरान “या अली, या हुसैन” के नारों की गूंज से वातावरण पूरी तरह धार्मिक रंग में रंग गया।
ताजिया और अखाड़ों का हुआ भव्य मिलन
इस्लाम धर्म के अनुयायियों के साथ-साथ अन्य धर्मों के लोग भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। जुलूस के दौरान परंपरागत ताजिया यात्रा और अखाड़ा कमेटियों के हैरतअंगेज प्रदर्शन ने कार्यक्रम को ऐतिहासिक बना दिया। तलवारबाज़ी, भाला, गड़ासा, लाठी और आग के करतबों ने उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया।
यह पर्व हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने कर्बला में अन्याय के खिलाफ खड़े होकर अपने प्राणों की आहुति दी थी।
प्रशासन रहा मुस्तैद, डीसी-एसपी ने बढ़ाया हौसला
जुलूस के सफल आयोजन के लिए प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। उपायुक्त रवि आनंद और पुलिस अधीक्षक राजकुमार मेहता स्वयं दल-बल के साथ मौके पर तैनात रहे। विशेष बात यह रही कि दोनों अधिकारियों ने लाठी खेल का प्रदर्शन कर न सिर्फ भीड़ को चौंका दिया, बल्कि खिलाड़ियों का उत्साह भी दोगुना कर दिया।
समाजिक सौहार्द का मिला संदेश
इस अवसर पर कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, समाजसेवी और बुद्धिजीवी वर्ग के लोग उपस्थित रहे। उन्होंने न सिर्फ अखाड़ा खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया, बल्कि सामाजिक एकता और धर्मनिरपेक्षता का संदेश भी दिया। शाम होते-होते नाराडीह, बुधुडीह सहित कई गांवों की ताजिया कमेटियों ने एसडीओ आवास के समीप अंतिम प्रदर्शन कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुहर्रम: त्याग, बलिदान और एकता का प्रतीक
जामताड़ा का यह मुहर्रम आयोजन इतिहास, आस्था और एकता का सुंदर संगम रहा। यह पर्व जहां इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद दिलाता है, वहीं समाज में भाईचारे और आपसी समझदारी का संदेश भी देता है।