मानसून में बंद रहेगा टाइगर रिजर्व, वन्यजीवों के प्रजनन और सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम
पलामू : झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व और बेतला नेशनल पार्क में 1 जुलाई 2025 से 30 सितंबर 2025 तक पर्यटकों की आवाजाही पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी गई है। यह निर्णय वन विभाग ने वन्यजीवों के प्रजनन, पर्यावरण संरक्षण और पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया है।
🐅 प्रजनन काल में जरूरी है शांत वातावरण
मानसून के दौरान जंगलों में जानवरों का प्रजनन काल होता है। विशेषकर बाघ, तेंदुआ और अन्य स्तनधारी प्रजातियों को शांति और मानव हस्तक्षेप से दूर वातावरण की आवश्यकता होती है। वन विभाग ने बताया कि इस दौरान पर्यटकों की आवाजाही से जानवरों की दिनचर्या और प्रजनन प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
⚠️ पर्यटकों की सुरक्षा भी बनी प्राथमिकता
बरसात के मौसम में जंगलों में फिसलन, बाढ़, गिरी हुई पेड़-पौधे, विषैले कीट-पतंगे और सांपों का खतरा भी बढ़ जाता है। इस मौसम में पर्यटन गतिविधियां जोखिम भरी हो जाती हैं। ऐसे में यह प्रतिबंध पर्यटकों और वन्यजीवों—दोनों की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है।
🐘 पलामू टाइगर रिजर्व: जैव विविधता का अद्भुत केंद्र
झारखंड के लातेहार, गढ़वा और पलामू जिलों में फैला पलामू टाइगर रिजर्व देश के प्रमुख वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों में से एक है। यह क्षेत्र बाघ, हाथी, तेंदुआ, गौर, चीतल, सांभर और सैकड़ों पक्षियों की प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध है। हर साल हजारों पर्यटक बेतला नेशनल पार्क में जंगल सफारी और प्रकृति दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
🧭 क्या करें पर्यटक? वैकल्पिक स्थलों की करें यात्रा
इस प्रतिबंध के दौरान पर्यटक झारखंड के अन्य प्रमुख स्थलों की यात्रा कर सकते हैं, जैसे:
नेतरहाट – ‘झारखंड का शिमला’
हजारीबाग नेशनल पार्क – हिरणों और पक्षियों का निवास
रजरप्पा मंदिर – धार्मिक पर्यटन स्थल
पारसनाथ हिल्स – जैन तीर्थ यात्रियों का प्रमुख स्थान
झारखंड पर्यटन विभाग इन वैकल्पिक स्थलों को बढ़ावा देने और सुविधा बढ़ाने की दिशा में कई प्रयास कर रहा है।
🗣️ वन विभाग की अपील
वन विभाग ने पर्यटकों और ट्रैवल एजेंसियों से अपील की है कि वे निर्धारित समयावधि तक पलामू और बेतला की यात्रा टालें, और वन्यजीवों के संरक्षण में सहयोग करें।
📌 अधिक जानकारी के लिए झारखंड पर्यटन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट या पलामू वन प्रमंडल कार्यालय से संपर्क करें।