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उपायुक्त ने जनता दरबार में बेटियों का बढ़ाया हौसला, कहा- किसी बैशाखी की नहीं, आत्मबल की ज़रूरत है

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जनता दरबार में बेटियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया उपायुक्त ने

बोकारो: शुक्रवार को आयोजित जनता दरबार में जब महिलाएं और बेटियां अपनी समस्याओं को लेकर पहुंचीं, तो उपायुक्त अजय नाथ झा ने न सिर्फ उनकी बात सुनी बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने और समाज में सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए भी प्रेरित किया।

उपायुक्त ने कहा, “बेटियां किसी भी मायने में बेटों से कम नहीं हैं। वे आज विज्ञान, प्रशासन, सेना, खेल और हर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही हैं।” उन्होंने बेटियों से आग्रह किया कि वे खुद को कमज़ोर न समझें और बिना किसी सहारे खुद पर भरोसा रखते हुए आगे बढ़ें।


परंपरा को तोड़ आत्मनिर्भरता की ओर बढ़े बेटियां: उपायुक्त

जनता दरबार के दौरान उपायुक्त ने एक गहन संदेश दिया—
“बचपन में बेटियां पिता या भाई पर, शादी के बाद पति पर और मातृत्व के बाद अपने बच्चों पर निर्भर हो जाती हैं। यह परिपाटी अब बदलनी चाहिए।”

उन्होंने कहा कि समाज को बेटियों को सहयोग देना चाहिए, लेकिन उनके आत्मबल को भी प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि वे अपने फैसले खुद ले सकें और आत्मनिर्भर बन सकें।


महिला पंचायत प्रतिनिधियों और छात्राओं को मिला विशेष प्रोत्साहन

इस अवसर पर कई महिला पंचायत प्रतिनिधि और एक कॉलेज छात्रा, अपने परिवार के सदस्यों के साथ उपायुक्त से मिलने पहुंची थीं। उपायुक्त ने सभी महिलाओं से संवाद करते हुए कहा कि समाज को बेटियों की उपलब्धियों पर गर्व करना चाहिए और बेटी के जन्म पर उपहार देने की परंपरा शुरू होनी चाहिए

उन्होंने कहा कि “यदि आपके आस-पड़ोस में किसी के घर बेटी जन्म लेती है, तो गुलदस्ता, मिठाई, फल या अन्य उपहार देकर उनके घर को भी उत्सव का हिस्सा बनाएं।”


जनता दरबार बना महिला सशक्तिकरण का मंच

जहां जनता दरबार आमतौर पर शिकायतों और समस्याओं के समाधान का माध्यम होता है, वहीं इस बार यह कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण के संदेश का भी वाहक बन गया।
उपायुक्त झा के उद्बोधन ने महिलाओं में आत्मबल और सामाजिक सहभागिता का नया संकल्प भर दिया।


निष्कर्ष:
जनता दरबार जैसे मंचों पर जब प्रशासनिक अधिकारी समाज के कमजोर वर्गों को समर्थन और प्रेरणा देते हैं, तो यह न सिर्फ उनकी समस्याओं का समाधान करता है बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव का भी आधार बनता है।

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