स्वास्थ्य कारणों से उपराष्ट्रपति पद से हटे जगदीप धनखड़, राष्ट्रपति को सौंपा इस्तीफा
नई दिल्ली, 22 जुलाई 2025: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने यह निर्णय स्वास्थ्य संबंधी कारणों और चिकित्सकीय सलाह के आधार पर लिया। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 67(a) के तहत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर अपना त्यागपत्र सौंपा।
धनखड़ ने अपने पत्र में लिखा –
“स्वास्थ्य की प्राथमिकता और चिकित्सा परामर्श के अनुसार मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं।”
उन्होंने राष्ट्रपति मुर्मू के साथ-साथ प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद का भी आभार जताया। संसद सदस्यों से मिले स्नेह, विश्वास और सम्मान को उन्होंने “जीवनभर की पूंजी” बताया।
कार्यकाल की झलक और लोकतांत्रिक योगदान
जगदीप धनखड़ ने 6 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को पराजित किया था।
उन्हें 725 में से 528 वोट मिले थे, जबकि मार्गरेट अल्वा को 182 वोट प्राप्त हुए थे। उपराष्ट्रपति बनने से पहले वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के पद पर कार्यरत थे।
व्यक्तिगत जीवन और प्रारंभिक शिक्षा
धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से प्राप्त की और स्कॉलरशिप पर चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल में पढ़ाई की।
हालाँकि उनका चयन नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) में हुआ था, लेकिन उन्होंने वकालत को चुना।
बीएससी (ऑनर्स): महाराजा कॉलेज, जयपुर
कानून की पढ़ाई: राजस्थान यूनिवर्सिटी
वर्ष 1979: राजस्थान बार काउंसिल सदस्य
वर्ष 1990: वरिष्ठ अधिवक्ता, राजस्थान हाईकोर्ट
वर्ष 1987: अध्यक्ष, राजस्थान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन
इतिहास में तीसरे उपराष्ट्रपति जिनका कार्यकाल अधूरा
धनखड़ भारत के तीसरे ऐसे उपराष्ट्रपति बने जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया। उनसे पहले:
वराहगिरि वेंकट गिरि (V.V. Giri) – 1969 में राष्ट्रपति पद के चुनाव हेतु उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा
कृष्ण कांत – 1997 में उपराष्ट्रपति बने, लेकिन 2002 में कार्यकाल के दौरान निधन
भारत के भविष्य पर जताया विश्वास
धनखड़ ने अपने पत्र के अंत में लिखा –
“भारत के आर्थिक विकास और वैश्विक उदय का साक्षी बनना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मैं देश के उज्ज्वल भविष्य पर पूर्ण विश्वास रखता हूं।”
यह खबर भारत की राजनीति में एक बड़ा बदलाव है, जो आने वाले समय में उपराष्ट्रपति पद के लिए नए चयन की प्रक्रिया को गति देगा।







