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कभी था कोयला उत्पादन का गढ़, अब सिर्फ 9 खदानों से हो रहा है उत्पादन

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कभी था कोयला उत्पादन का गढ़, अब सिर्फ 9 खदानों से हो रहा है उत्पादन

बेरमो, बोकारो: झारखंड का बेरमो कोयलांचल, जो कभी दो दर्जन से अधिक सक्रिय खदानों के लिए जाना जाता था, अब सिर्फ 9 खदानों तक सिमट गया है। फिलहाल CCL के तीन एरिया – बीएंडके, ढोरी और कथारा – से कुल मिलाकर करीब 150 लाख टन (15 मिलियन टन) कोयला उत्पादन हो रहा है।

बीएंडके एरिया से सबसे अधिक 80 लाख टन, ढोरी एरिया से 50 लाख टन और कथारा एरिया से 30 लाख टन सालाना कोयला निकल रहा है। चालू वित्तीय वर्ष में कुल 21 मिलियन टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

पहले उत्पादन पूरी तरह विभागीय था और एक एरिया से मुश्किल से 15-20 लाख टन कोयला निकलता था। अब आउटसोर्सिंग कंपनियों के आने से उत्पादन के साथ-साथ ओबी निस्तारण और कोल ट्रांसपोर्टिंग का काम भी तेजी से हो रहा है।

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चालू खदानें और भविष्य की योजनाएं

  • बीएंडके एरिया: AKK परियोजना, कारो ओसीपी, बोकारो कोलियरी

  • ढोरी एरिया: AAODCM, SDOCM, ढोरी खास यूजी

  • कथारा एरिया: जारंगडीह, स्वांग-गोविंदपुर OCP, कथारा कोलियरी

भविष्य में कोल हैंडलिंग प्लांट, नई वाशरियों और बंद खदानों के पुन: संचालन की योजना है। इससे क्षेत्र में रोजगार और कोयला उत्पादन दोनों को बल मिलेगा।

बेरमो के भू-गर्भ में लाखों टन कोयला मौजूद है, जिससे अगले 50 वर्षों तक खनन जारी रखा जा सकता है।

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