93 वर्षीय निशंतान मोहनलाल कुंडलिया ने मरने के बाद भी समाज को दी नई जिंदगी, किया शरीर दान
चास, बोकारो। गुजरात कॉलोनी निवासी 93 वर्षीय मोहनलाल कुंडलिया ने मृत्यु के बाद भी समाज को नई दिशा देने का कार्य किया है। निशंतान मोहनलाल ने 20 वर्ष पूर्व समाजसेवी गोपाल मुरारका के साथ मिलकर अपने शरीर को चिकित्सकीय शोध के लिए दान करने का संकल्प लिया था, जिसे आज उनकी मृत्यु के बाद पूरा किया गया। उनका पार्थिव शरीर रांची स्थित रिम्स भेजा गया, जहां मेडिकल छात्र उनके शरीर पर रिसर्च कर सकेंगे।
मोहनलाल के कुछ अंग जरूरतमंदों को भी दान किए जाएंगे। उनके भतीजे कानू कुंडलिया ने उनकी अंतिम इच्छा को पूर्ण करते हुए कागजी प्रक्रिया पूरी की और शव को रिम्स भिजवाया। मोहनलाल सीपीआई (एम) से राजनीतिक रूप से भी जुड़े रहे और एक सफल व्यवसायी भी थे।
उन्होंने 2017 में रिम्स को शरीर दान से जुड़ा कागज सौंपा था, जिसमें सीपीआई एम के सचिव जी.के. बक्सी को अभिभावक के रूप में नामित किया गया था। समाजसेवी गोपाल मुरारका ने कहा कि मोहनलाल कुंडलिया समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं और इस कार्य से लोगों को अंग व शरीर दान के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।