हूल दिवस 30 जून: संथाल विद्रोह के नायकों को दी गई श्रद्धांजलि, उमाकांत रजक ने आदिवासी अधिकारों की रक्षा का किया आह्वान
30 जून को मनाया जाने वाला हूल दिवस संथाल विद्रोह के महानायक सिदो-कान्हू मुर्मू की वीरता और बलिदान की याद में समर्पित होता है। इस अवसर पर सोमवार को चास के आईटीआई मोड़ स्थित सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
चंदनकियारी विधायक उमाकांत रजक ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की अगुवाई में माल्यार्पण कार्यक्रम का नेतृत्व किया। इस दौरान बोकारो जिला अध्यक्ष रतनलाल मांझी समेत पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में उमाकांत रजक ने कहा कि,
“सिदो-कान्हू और उनके साथियों ने अंग्रेजों के दमनकारी शासन के खिलाफ जो हिम्मत दिखाई, वह आज भी आदिवासी समाज के लिए प्रेरणा है। हमें झारखंड विरोधी शक्तियों को कमजोर करते हुए मूलवासी और आदिवासी समुदायों को मजबूत करने की दिशा में कार्य करना चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि हूल दिवस केवल एक प्रतीकात्मक आयोजन नहीं है, बल्कि यह आदिवासी समाज की अस्मिता, संघर्ष और संस्कृति की पहचान है। इसका उद्देश्य आने वाली पीढ़ियों को अपने इतिहास से जोड़ना और उनके अधिकारों की रक्षा करना है।
इस अवसर पर वक्ताओं ने संथाल विद्रोह के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि 1855 में सिदो-कान्हू मुर्मू के नेतृत्व में हुआ यह आंदोलन ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ सबसे बड़ा आदिवासी विद्रोह था, जिसने भारत की स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।