- Advertisement -spot_img
- Advertisement -spot_img
spot_img
HomeNEWSआत्मनिर्भर भारत मिशन को गति प्रदान करता बोकारो स्टील प्लांट

आत्मनिर्भर भारत मिशन को गति प्रदान करता बोकारो स्टील प्लांट

spot_img

बोकारो, झारखंड। बोकारो स्टील प्लांट, जो कि 1964 में स्थापित हुआ था, आज न केवल भारत के सबसे बड़े इस्पात उत्पादक केंद्रों में से एक है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत मिशन और विकसित भारत 2047 की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। यह प्लांट, जो पहले “माराफारी” के नाम से जाना जाता था, अब दुनिया भर में अपनी पहचान बना चुका है और देश के औद्योगिक विकास का एक प्रमुख केंद्र बन गया है।

वर्तमान में बोकारो स्टील प्लांट केवल इस्पात उत्पादन तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि इसने भारतीय औद्योगिकीकरण, तकनीकी नवाचार और समावेशी विकास की दिशा में कई मील के पत्थर तय किए हैं। भारत सरकार के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के इस उपक्रम ने न सिर्फ देश को वैश्विक मंच पर एक प्रमुख इस्पात उत्पादक राष्ट्र के रूप में स्थापित किया है, बल्कि यह क्षेत्रीय विकास, सामाजिक सशक्तिकरण और समावेशी प्रगति में भी योगदान दे रहा है।

स्वदेशी इस्पात ग्रेड्स का विकास
स्वदेशी इस्पात ग्रेड्स का विकास

स्वदेशी इस्पात ग्रेड्स का विकास

बोकारो स्टील प्लांट अब देश के लिए रणनीतिक महत्व के कई स्टील ग्रेड्स का स्वदेशी विकास कर रहा है, जिन्हें पहले विदेशों से आयात किया जाता था। इनमें से एक प्रमुख उदाहरण है CORTEN स्टील, जिसे अब बोकारो स्टील ने अपने स्वदेशी विकल्प ‘वेदर रेसिस्टेंट स्टील’ (SAILCOR) के रूप में विकसित किया है। यह स्टील भारतीय रेलवे के वैगनों और ढाँचागत संरचनाओं में उपयोग हो रहा है, जिससे भारत की आत्मनिर्भरता को और भी मजबूती मिल रही है।

शिपिंग कंटेनरों में आत्मनिर्भरता

जहां पहले भारत को शिपिंग कंटेनरों के लिए चीन जैसे देशों पर निर्भर रहना पड़ता था, वहीं अब WR-Fe 490H ग्रेड स्टील के विकास से भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन चुका है। इसके अलावा, बोकारो स्टील ने गैल्वनाइज्ड स्टील का विकास किया है, जो फूड ग्रेन साइलो के निर्माण में उपयोग होता है, और इसकी उच्च तकनीकी विशेषताएँ खाद्य सुरक्षा में आत्मनिर्भरता को सुदृढ़ करती हैं।

शिपिंग कंटेनरों में आत्मनिर्भरता
शिपिंग कंटेनरों में आत्मनिर्भरता

राष्ट्रीय रक्षा में योगदान

DMR 249A मरीन ग्रेड स्टील का विकास, जो भारतीय नौसेना के अग्रणी युद्धपोतों—INS विक्रांत, INS महेन्द्रगिरि, INS विंध्यगिरी—के निर्माण में उपयोग किया गया है, बोकारो स्टील प्लांट के योगदान को दर्शाता है। यह स्टील भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूती प्रदान कर रहा है।

नवीकरणीय ऊर्जा में योगदान

बोकारो स्टील ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। IS 277 GP 350 ग्रेड के तहत 600 GSM जिंक परत वाले विशेष गैल्वनाइज्ड स्टील का विकास किया गया है, जिसका उपयोग सोलर पैनल माउंटिंग स्ट्रक्चर्स में किया जाता है। इसकी उच्च संक्षारण प्रतिरोधक क्षमता और यांत्रिक मजबूती इसे सोलर पैनल की संरचनाओं के लिए आदर्श बनाती है।

समाज और एकता का प्रतीक

बोकारो स्टील प्लांट न केवल एक औद्योगिक केंद्र है, बल्कि यह “मिनी भारत” के रूप में पहचान पा चुका है, जहां देश के विभिन्न हिस्सों से आए लोग एक साथ रहते हैं और संयंत्र की सफलता में योगदान करते हैं। यह सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता का जीवंत उदाहरण है।

आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम

बोकारो स्टील प्लांट अब आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत 2047 के संकल्प को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह संयंत्र न केवल देश के औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है, बल्कि भारत को वैश्विक मंच पर एक सशक्त राष्ट्र बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

spot_img
spot_img
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine
spot_img

Most Popular

spot_img