भीड़ में एक अलग पहचान दिलाती है प्रतिभा, उसे पहचानें और निखारें : उप समादेष्टा विनोद
– डीपीएस बोकारो में अंतर सदन आर्केस्ट्रा प्रतियोगिता के साथ सांस्कृतिक उत्सव ‘तरंग’ का समापन
बोकारो। डीपीएस बोकारो में आयोजित चार-दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव ‘तरंग’ के चौथे व अंतिम दिन शुक्रवार को 70-80 दशक के बॉलीवुड की सतरंगी छटा उतरी रही। अंतर सदन आर्केस्ट्रा प्रतियोगिता में विभिन्न वाद्ययंत्रों पर बच्चों ने एक से बढ़कर एक सुपरहिट सदाबहार धुनें बजाकर समां बांध दिया। सितार, गिटार, क्लैप बॉक्स, ढ़ोलक, की-बोर्ड, वायलिन, बांसुरी, ड्रम सहित भांति-भांति के वाद्ययंत्रों पर उनकी उत्कृष्ट प्रस्तुति उनकी कलात्मक प्रतिभा बिखेर रही थी।
प्रत्येक हाउस की टीम ने एक फिल्म विशेष के मुख्य गीत से अपनी प्रस्तुति शुरू करते हुए नन-स्टॉप अंदाज में कई गीतों का अनूठा सम्मिश्रण प्रस्तुत किया और गुजरे जमाने की यादें तरोताजा कर दीं। कार्यक्रम की शुरुआत रावी हाउस की टीम ने हम किसी से कम नहीं फिल्म में मो. रफी के गाए गीत चांद मेरा दिल… की धुन बजाकर समूह-वादन में सुंदर सामंजस्य प्रस्तुत किया।
इसके बाद गंगा हाउस के प्रतिभागियों ने अमिताभ बच्चन अभिनीत सुपरहिट मूवी डॉन की थीम धुन बजाई। चेनाब सदन के प्रतिभागियों ने फिल्म शोले का सुपरहिट संगीत, तो जमुना हाउस ने फिल्म कर्ज की दर्द-ए-दिल एवं एक हसीना थी… धुन सुनाकर सबकी वाहवाही लूटी। झेलम हाउस के बच्चों ने शहंशाह फिल्म के अंधेरी रातों में… तथा अंत में सतलज सदन के दल ने फिल्म शान की थीम धुन प्यार करने वाले प्यार करते हैं शान से… सुनाकर सबको खूब झुमाया।
बेहतरीन प्रदर्शन के आधार पर रावी हाउस को प्रथम, चेनाब एवं झेलम सदन को द्वितीय तथा गंगा, जमुना और सतलज को संयुक्त रूप से तृतीय स्थान मिला। कार्यक्रम के दौरान पूरा विद्यालय परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा। सभी प्रतिभागी बच्चे उस दौर के फिल्मी अभिनेताओं की वेशभूषा में नजर आए, जिसने कार्यक्रम की खूबसूरती में और चार चांद लगा लिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीआरपीएफ 26वीं बटालियन के उप समादेष्टा विनोद कुमार यादव ने बच्चों की प्रस्तुति को सराहते हुए तनाव से मुक्ति दिलाने में संगीत की अहमियत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डीपीएस बोकारो बच्चों के समग्र विकास के लिए जाना जाता है। यह आयोजन इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। इसके जरिए बच्चों में छिपी प्रतिभा उजागर होती है और उसमें निखार आता है।
हुनर ही हजारों की भीड़ में आपको एक अलग और खास पहचान दिलाती है। बच्चे अपनी प्रतिभा को पहचानें और निखारें। श्री यादव ने इस क्रम में अपने छात्र-जीवन के अनुभव भी साझा किए। इसके पूर्व, डिप्टी कमांडेंट श्री यादव एवं उनकी पत्नी मनोरमा यादव का पौधा व पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया गया। विद्यालय के प्राचार्य डॉ. एएस गंगवार ने उन्हें स्मृति चिह्न भेंट किया तथा शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
प्राचार्य डॉ. गंगवार ने अपने संबोधन में सांस्कृतिक गतिविधियों में प्रतिभागिता को संपूर्ण व्यक्तित्व-विकास में महत्वपूर्ण बताया। कहा कि इससे समय-प्रबंधन, टीम-भावना, सामाजिकता एवं कर्तव्य-बोध की भी सीख मिलती है और ऐसे बच्चे पढ़ाई के साथ अन्य क्षेत्रों में भी बेहतर करते हैं। कार्यक्रम का संचालन छात्र गौरव, छात्रा अनन्या व सोनम तथा धन्यवाद ज्ञापन सांस्कृतिक सचिव लीजा सिंह ने किया। प्रतियोगिता के निर्णायकों में प्राइमरी इकाई के शिक्षक निमेष राठौर, अंजली कुमारी और जयप्रकाश सिन्हा शामिल रहे।