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एनजेसीएस के 10 नेता 10 साल में नहीं सुलझा पाए मजदूरों की 10 मांगें : बीएकेएस ने जताया आक्रोश

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एनजेसीएस के 10 नेता 10 साल में नहीं सुलझा पाए मजदूरों की 10 मांगें : बीएकेएस ने जताया आक्रोश

बोकारो: बोकारो स्टील प्लांट सहित स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के मजदूरों की 10 प्रमुख मांगें पिछले 10 वर्षों से लंबित हैं और नेशनल ज्वॉइंट कमेटी फॉर स्टील (एनजेसीएस) के 10 नेता अब तक उन्हें हल नहीं करा पाए हैं। यह गंभीर आरोप बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ (बीएकेएस) ने लगाया है।

बीएकेएस ने एनजेसीएस में 2016 से लगातार सक्रिय नेताओं की सूची जारी की है और बताया कि मजदूरों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं, जबकि प्रबंधन पर इसका कोई असर नहीं दिखता। बीएकेएस का कहना है कि समस्याओं की सूची इतनी लंबी हो गई है कि उस पर एक “मोटी किताब” तैयार की जा सकती है।

कोई उल्लेखनीय योगदान नहीं

बीएकेएस का आरोप है कि 278वीं (मई 2016) और 294वीं (जनवरी 2024) एनजेसीएस बैठकों में शामिल कॉमन नेताओं – जैसे जी संजीवा रेड्डी, बीएन चौबे, हरिजीत सिंह, विकास घटक, सीएम पोढ़े (इंटक), डी आदिनारायण (एटक), संजय बढ़वाकर, राजेंद्र सिंह (एचएमएस), तपन सेन (सीटू), और डीके पांडेय (बीएमएस) – ने अब तक मजदूर हित में कोई ठोस कार्य नहीं किया है।

बीएकेएस ने गिनाई असफलताएं:

  • वेज रिवीजन एमओए में देरी

  • एमजीबी में 2% की कटौती

  • पर्क्स में 8.5% की कमी

  • एनजेसीएस संविधान का उल्लंघन

  • अधिकारी-कर्मचारी में पर्क्स प्रभाव तिथि में भेदभाव

  • 39 माह का फिटमेंट एरियर लंबित

  • बोनस समझौता में कर्मियों को घाटा

  • सम्मानजनक पदनाम की कमी

  • इंसेंटिव रिवार्ड फॉर्मूला अधूरा

  • स्टैगेनेशन इंक्रीमेंट का लाभ नहीं

स्पष्ट गाइडलाइन और नियमों की कमी

बीएकेएस बोकारो अध्यक्ष हरिओम ने कहा कि श्रमिक राजनीति में ना तो मजदूरों की भागीदारी है, और ना ही उनके मुद्दों पर चर्चा। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधित्व गैर निर्वाचित और बाहरी लोगों को दिया गया है, जिससे मजदूर हितों की अनदेखी हो रही है।

हरिओम ने यह भी कहा कि स्पष्ट गाइडलाइन और नियमों के अभाव में कोई ठोस पहल नहीं हो रही है। निर्णय प्रक्रिया में मजदूर प्रतिनिधियों के बजाय प्रबंधन की भूमिका प्रमुख हो गई है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विरुद्ध है।


📌 निष्कर्ष:

एनजेसीएस की निष्क्रियता और एक दशक से अधिक समय तक यथास्थिति बनाए रखने को लेकर मजदूरों में भारी नाराजगी और असंतोष है। बीएकेएस ने इस मुद्दे को सार्वजनिक मंच पर लाकर श्रमिक हितों की पुनर्स्थापना की मांग की है।

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